उज़्बेक दया, उदारता और अच्छे शिष्टाचार के बारे में कहावत है

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उज़्बेक दया, उदारता और अच्छे शिष्टाचार के बारे में कहावत है


  1. इसने देने वाले देवता को प्रसन्न किया / इसने देने वाले देवता को प्रसन्न किया - दायुश्ची आई बोगु नरावित्स्य (दयूश्ची मिलोस्तिन्यु, पोडारोक आई डॉ।)
  2. उस स्थान को नमस्कार करो, जहाँ तुमने चालीस दिन तक नमक पिया
  3. एक किशमिश को चालीस लोगों ने खाया/एक किशमिश को चालीस लोगों ने खाया - ओडनु श्टुचुकु किश्मिशा सोरोक चेलोवेक पोडेलिली
  4. भाषा की कुंजी भाषा है / भाषा की कुंजी भाषा है, भाषा भाषा की कुंजी है
  5. इनाम के तल में एक छेद है/इनाम के तल में एक छेद है - यू डोबरा दनो डाइरयावो (ओट डोबरा डोबरा ने ईशचुत।)
  6. दान अस्वीकृति परेशानी/भिक्षा देने से इंकार समस्या — मिलोस्तिन्या, पोडायनी ओटवर्गेट ज़्लो, नेस्चैस्ट
  7. अभिवादन अनिवार्य है, स्वागत अनिवार्य है/नमस्कार अनिवार्य है, अभिवादन अनिवार्य है
  8. बड़े हो तो छोटे रहो
  9. अलविदा कहो तो सब करो / अलविदा कहो तो सब करो
  10. अच्छाई का कोई जल्दी या देर नहीं है / अच्छाई का कोई जल्दी या देर नहीं है

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