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अलीशर नवोई
आपके पूर्वजों का प्रकाश
मेरा गला कभी ख़राब नहीं होता
अपने पूर्वजों द्वारा भुला दिया गया
कोई भविष्य नहीं होगा
आज नौ फरवरी है
आज ही के दिन शरिया बनाया गया था
हम कभी नहीं भूलेंगें
महान दादा
आप पांच मंजिला हमसंग हैं
यदि आप हमारे लिए खजाना जानते हैं
हम पढ़कर सीखते हैं
हम भी आपकी तरह महान बनेंगे
मैं बच्चा होने के लिए भाग्यशाली हूं
नवोई के एक दादा हैं
अगर मैं कोई ग़ज़ल महाकाव्य सीख लूं
मेरे पास एक शिक्षक है.
✍️: इस्लामोवा मुकाम्बर
अलीशर नवोई
दादा नवोई
यह हमारे लिए छोड़ दें
पढ़कर हम समझदार बनते हैं
उस पर शिष्टाचार लिखा हुआ है
उज़्बेक शरिया
मेरे दादाजी ने मेरा परिचय कराया
साहित्य कला है
मेरे दादाजी जिन्होंने इसे खिलवाया
मेरे दादाजी के पैरों के निशान
मुझे भी क्लिक करना है
उन्होंने जो शब्द कहे
मैं भी कहना चाहता हूं
उनका असली नाम अलीशेर है
हमारे दादा नवोई
एक ग़ज़ल एक महाकाव्य का एक शरीर है
हमारी न बुझने वाली आग
✍️: इस्लामोवा मुकाम्बर