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अलीशर नवोई
दादा नवोई
यह हमारे लिए छोड़ दें
पढ़कर हम समझदार बनते हैं
उस पर शिष्टाचार लिखा हुआ है
उज़्बेक शरिया
मेरे दादाजी ने मेरा परिचय कराया
साहित्य कला है
मेरे दादाजी जिन्होंने इसे खिलवाया
मेरे दादाजी के पैरों के निशान
मुझे भी क्लिक करना है
उन्होंने जो शब्द कहे
मैं भी कहना चाहता हूं
उनका असली नाम अलीशेर है
हमारे दादा नवोई
एक ग़ज़ल एक महाकाव्य का एक शरीर है
हमारी न बुझने वाली आग
✍️: इस्लामोवा मुकाम्बर